लेखनी प्रतियोगिता -10-Jun-2024
शीर्षक ;- प्रेम परीक्षा
"शायद!! तुम रमन हो?" प्रिया ने पार्क की बैन्च पर बैठे हुए युवक से प्रश्न करते हुए पूछा।
"हाँ मै रमन ही हूँ तुम प्रिया ही हो न?" रमन बोला।
प्रिया का अन्दाज सही निकला वह उसके बचपन से लेकर जवानी तक साथ पढ़ने वाला रमन ही था।
रमन के साथ प्रिया ने न जाने कितने सपने देखे थे। वह रमन से शादी करके अपनी गृहस्थी बसाना चाहती थी।लेकिन रमन अचानक इस तरह कहीं गायब होगया जैसे गधे के सिर से सींग।
प्रिया ने रमन को खोजने की बहुत कोशिश की थी लेकिन रमन नहीं मिला।प्रिया ने सोच लिया कि रमन का प्यार एक दिखावा था। वह उसे प्यार करता ही नहीं था। उसके मन में बार बार एक ही सवाल आरहा था कि रमन ने किसी और लड़की से शादी करली । इसीलिए वह आज बहुत गुस्से में थी और वह रमन से वह सब पूछना चाहती कि उसने इतना बड़ा धोका क्यौ किया था
उसे किसी और से प्यार था तो वह उसे बताकर चला जाता। मै उसे कहीं बांधकर नहीं रख लेती।
प्रिया ने अपने गुस्सा पर काबू करते हुए पूछा, "रमन !! आपकी पत्नी कैसी है? बच्चे कैसे हैं ? आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये?" प्रिया ने एक साथ इतने प्रश्न पूछ लिए कि रमन इनको सुनकर घबरा गया।
"किसकी पत्नी ? कैसे बच्चे ? प्रिया तुम कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो? तुम्हे शायद अपने प्यार पर भरोसा नहीं था। तब तुम अपने परिवार के बिषय में ही बतादो।", रमन हसता हुआ बोला। जबकि रमन जानता था कि प्रिया ने किसी और से शादी करने से साफ मना कर दिया था।
प्रिया रमन की बातें सुनकर एकबार तो परेशान हो गई थी। वह रमन को पूछने लगी," क्या तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं है जो यह पूछ रहे हो? और तुम बिना बताए इतने दिन कहाँ गायब होगये थे?"
नहीं प्रिया ऐसा कुछ नहीं है। बात ही कुछ ऐसी होगई कि मुझे सब छोड़कर दूर जाना पड़गया। जब मैने अपने मम्मी पापा से तुमसे शादी करने की बात कही तब वह बोले," रमन!! तुम्हारी शादी तो प्रिया से ही होगी लेकिन पहले तुम्हें कुछ बनकर दिखाना होगा। हम एक लड़की का जीवन अन्धकार में नहीं डाल सकते हैं। तुम्हे कुछ बनने के लिए हम सबसे दूर जाना होगा वह भी प्रिया को बिना बताए। "
" रमन !! तुम्हारे जाने के बाद यदि मेरे मम्मी पापा मेरी कहीं और शादी करदेते तब क्या होता?", प्रिया ने प्रश्न किया।
"इसके लिए मेरे पापा ने मुझे कह दिया था कि मै स्वयं प्रिया के पापा को समझा-बुझाकर कह दूँगा कि अब प्रिया हमारी अमानत है वह भले आदमी है मान जायेंगे और प्रिया पर शादी करने का दबाब नहीं बनायेंगे।"
अब प्रिया की समझ में आरहा था कि उसके मम्मी पापा ने उसकी शादी की बात क्यौ नहीं की थी?
प्रिया शिकायत करती हुई बोली," मुझे तुमसे बात नहीं करनी तुम क्या समझो मैने इतने दिन किस तरह बिताए है इन दिनौ मैं कितनी परेशान रही हूँ तुम्हारा फौन भी नहीं लगता था। मै किसी को पूछ भी नहीं सकी थी? मुझे शादी नहीं करनी?"
"प्रिया इन सब बातौ को भूलकर पुरानी यादौ में खो जाओ। हमारे पहले मिलन की यह बैन्च ही गवाह है हम पहली बार इसी बैन्च पर मिले थे। उस दिन की बरसात कैसे भूल सकता हूँ? उस बरसात के कारण ही हमारा पहला परिचय हुआ था। तुम भींग रही थी तब मैने अपना छाता दिया था। और बरसात तेज होती जारही थी तब हम दोनों एक ही छाते में बैठ गये थे।"
प्रिया को बचपन की सब यादें ताजा होगई।
रमन बोला," प्रिया आज तुम प्रेम परीक्षा में पास होगई हो।"
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "